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वो अपनी मनमानी करती
फिर भी अच्छी लगती
डाांट जब भी लगती
माां की झलक दिखलाती
नजरों में प्यार भरा जैसे
जीवन को रोशन कर देती
बचपन लौट आता
जब वो मुस्कुराती
अपना हुकुम नित चलाती सब पर
लेकिन जब वो आांगन में नहीं दिखती
सूना सारा आांगन लगता पल भर में
उसके आने से जीवन में प्राण आते
वो जब भी आती मेरे आांगन में
चारो तरफ खुशियां लेकर आती
– बलवंत सिंह राणा
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