Monday, 3 July 2023

आगाज : सूर्यबाला मिश्रा ‘अपराजिता’

आगाज
________________________
जियो ऐसे वतन की 
सरपरस्ती में लहू का एक कतरा 
भी गिरे आगाज हो जाए !
ग़ुलामी के शिकंजे से निकलने 
की इबादत से 
ये मिट्टी चूम कह दो वहीं 
आगाज हो जाए !

मुकद्दर है भला अपना 
जन्म भारत में पाए हैं 
बना दो शान मिट्टी की 
और एक आगाज हो जाये !

जहाँ नदियों को पूजा और 
उनको माँ कहा जाये 
उसी धरती को पूजो 
और एक आगाज हो जाये !

यहाँ श्रीराम और श्रीकृष्ण का 
आना हुआ जैसे 
बनो आदर्श तुम ऐसे 
की एक आगाज हो जाये !

कलम कलाम के जैसी 
यहाँ टैगोर की छवि है
निराला और दिनकर की तरह 
इस देश में कवि हैं 
भुलाकर खुद को तुम खोजो 
और एक आगाज हो जाये!
             – सूर्यबाला मिश्रा "अपराजिता"



No comments:

Post a Comment

परिणाम घोषित

शीर्ष स्थान :– 🥇प्रथम पुरस्कार विजेता : अद्वैत वेदांत रंजन (राशि: ₹1001/–) 🥈द्वितीय पुरस्कार विजेता : सीमा रंगा इंद्रा एवं ज्ञ...