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मेरी आत्मा ने रंग, बारिश की बूंदो संग
महसूस किया जिसे
सर्द हवाओ के झोके, वही गीत गा रहे है।
श्रृंगार करती वृक्षों की लताएँ,
रंग-बिरंगे फूलो के आभूषण धारण
उनके इंतजार में प्रकृति को सजा रहे है।
यहाँ कण-कण प्यासा है,
जिनके दीदार को
ये मेघ उन्ही के आने का
पैगाम ला रहे है
जिनके नाम से चलती है- साँसे मेरी,
वही प्रियतम आनंदित हो, चले आ रहे है।
जिनका पार न पाया कोई
जो अनंत, अविनाशी है।
जिनके दीदार को ये अखियाँ,
जन्मों की प्यासी है।
वही मेरे शिव परमपिता परमेश्वर मेरे महादेव
मेरे सावन के आनंद रूप में चले आ रहे हैं
– सपना प्रजापति
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