_______________________
कच्चे, टेढ़े- मेढ़े रास्तों से होकर
ले हल और बैल किसान आया है ।
बंजर जमीं पर करने कठोर परिश्रम
लाने धरा की हरियाली आया है।
चिलचिलाती धूप है चारों तरफ
गर्मी की परवाह किए बिना आया है।
मेहनत करके उगाता अन्नदाता अन्न
भरने पेट जगत का ये आया है ।
पाल पशुओं को देता दूध हमें
पक्षियों का सच्चा साथी आया है ।
ठिठुरती ठंड में सो रहा जगत सारा
लहराती फसल संभालने आया है।
बिजली चमके, बादल गरजे अंबर में
बिन डरे, बिन रुके पानी देने आया है ।
देख प्राकृतिक आपदा बेचारा रोया है
उठ फिर से, अन्न उगाने आया है ।
मेले, फटे- पुराने कपड़े पहन कर
किसान फसल कटाई करने आया है।
देख कठोर तप को इनके जगत
जय किसान का नारा लगाने आया है।
जय जवान जय किसान
– सीमा रंगा इन्द्रा , जींद , हरियाणा
No comments:
Post a Comment