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जिनके कारण बचा हुआ है,
अब तक मेरा बचपन।
ना ही कुछ लाने की चिंता,
ना किसी को कुछ देने का टेंशन।।
जिनके आशीष की छाया में,
ये जीवन मेरा बीता है।
मैं आज ये सबसे कहता हूं,
हां! वही तो मेरे पिता है।।(१)
मेरे जीवन के, जो है त्राण।
मुझमें बसते हैं, उनके प्राण।।
पिता से मिला,पुरखों का ज्ञान।
नाम से उन्हीं के,मिली पहचान।।
जिनके मन में मेरे लिए,
अथाह प्रेम और चिंता है।
मैं आज ये सबसे कहता हूं,
हां! वही तो मेरे पिता है।।(२)
स्नेह का सागर, मेरे पिताजी।
मेरा आदर्श, मेरे पिताजी।।
इस जीवन की पूंजी,मेरे पिताजी।
अनुभव की कुंजी, मेरे पिताजी।।
जिनका वचन ही मेरे लिए,
रामायण और गीता है।
मैं आज ये सबसे कहता हूं।
हां! वही तो मेरे पिता है।।(३)
– कमल पटेल , चकरावदा
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